पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का विकास निरनà¥à¤¤à¤° गतिशील रहेगा - पà¥à¤°à¥‹. आई. वी. तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€
जैनविदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤—, मोहनलाल सà¥à¤–ाड़िया विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, उदयपà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जैनविदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ की समसामयिकता विषयक राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ माला का आयोजन किया गया। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ - पà¥à¤°à¥‹. आई. वी. तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿- मोहनलाल सà¥à¤–ाड़िया वि. वि. उदयपà¥à¤° ने की। आपने अपने विचार पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करते हà¥à¤ कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की समसामयिकता निसंदेह वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ है और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का विकास निरनà¥à¤¤à¤° गतिशील रहेगा। परमपूजà¥à¤¯ मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥€ अमितसागरजी महाराज ने अपने वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ में कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ की समसामयिकता यही है कि उसे हम अपने जीवन में अंगीकार करें।
मà¥à¤–à¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾ के रूप में पà¥à¤°à¥‹. अनेकानà¥à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤° जैन, नई दिलà¥à¤²à¥€ ने कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ सादगी और अहिंसा की ओर संकेत देती है। इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हमारे जीवन में सदà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को विकसित करता है। मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि पà¥à¤°à¥‹. सी. आर. सà¥à¤¥à¤¾à¤°, अधिषà¥à¤ ाता, सामाजिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ मानविकी महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, मो. सà¥.वि.वि. उदयपà¥à¤° रहे, आपने पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ के विकसित सà¥à¤µà¤°à¥‚प का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया। सारसà¥à¤µà¤¤ अतिथि
डॉ. नीरज शरà¥à¤®à¤¾ ने कहा कि 'णाणसà¥à¤¸ सारमायारो अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सार आचार है, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
नैतिकता का आधार है। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ के समनà¥à¤µà¤¯à¤• डॉ. जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बाबू जैन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ से अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ नामक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का लोकारà¥à¤ªà¤£ कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿à¤œà¥€ à¤à¤µà¤‚ अतिथियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया। जो की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के अंतः संबंध को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने वाली महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कृति है साथ ही पà¥à¤°à¥‹. पà¥à¤°à¥‡à¤® सà¥à¤®à¤¨ जैन के 81वें जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ पर अतिथियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बधाई दी गयी। कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ जी जैन विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤— à¤à¤µà¤‚ सोसाइटी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¼à¥‡à¤¸à¤° जैन का अà¤à¤¿à¤¨à¤‚दन किया गया
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का संयोजन गाथा पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों के माधà¥à¤¯à¤® से डॉ. सà¥à¤®à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤° जैन, सहायक आचारà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया।
समागत अतिथितियों के सà¥à¤µà¤¾à¤—त वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ विषय पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ में वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ के समनà¥à¤µà¤¯à¤• डॉ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बाबू जी ने अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहां पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ समाज के लिठअतà¥à¤¯à¤‚त उपयोगी है वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिपेकà¥à¤· में शांति और समृदà¥à¤§à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ समाज में सह असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ जागृत करने के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° आवशà¥à¤¯à¤• है ।à¤à¤¾à¤·à¤¾ वही है जिसमें संवेदना हो साथ ही अपनी दूरगामी सोच के साथ विà¤à¤¾à¤— के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° की बात रखी जिसे कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ जी ने अपने उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ में रेखा अंकित कर विà¤à¤¾à¤— के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° की बात कही। अंत में सà¤à¥€ का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤µà¤‚ आà¤à¤¾à¤° डॉ. जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बाबू जैन, पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·-जैनविदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤— ने किया।
वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ में पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° सीआर सà¥à¤¥à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° नीरज शरà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¥‹. हदीस अंसारी, पà¥à¤°à¥‹. à¤à¤š.सी. जैन, पà¥à¤°à¥‹. जिनेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° जैन, डॉ आशीष सिसोदिया डॉ. सà¥à¤°à¥‡à¤¶ सालवी डॉ राजकà¥à¤®à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ डॉ गिरिराज शरà¥à¤®à¤¾ डॉ जी à¤à¤² पाटीदार डॉ तरà¥à¤£ शरà¥à¤®à¤¾ डॉ नेहा जी डॉ नीता जी सà¥à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤¾ जी आदि संकाय सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ,शोधारà¥à¤¥à¥€ . विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ उदयपà¥à¤° से समागत गणमानà¥à¤¯ नागरिकों ने अपनी सहà¤à¤¾à¤—िता की
साथ ही परोकà¥à¤· रूप से ऑनलाइन माधà¥à¤¯à¤® से इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ पर चल रहे आरसीठके पूरà¥à¤µ डीन पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° à¤à¤¸ à¤à¤² गोदावत जी ने वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ में अपनी सहà¤à¤¾à¤—िता दी और जैन विदà¥à¤¯à¤¾ की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिपेकà¥à¤· में उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता पर अपना वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· और परोकà¥à¤· रूप से लगà¤à¤— 170 सहà¤à¤¾à¤—ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों ने à¤à¤¾à¤— लेकर जैन विदà¥à¤¯à¤¾ की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ को समठकारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सफल बनाया।
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